कलेक्टर निधि निवेदिता के खिलाफ जिला न्यायालय में लगा एक परिवाद निरस्त हो गया है, लेकिन घटनाक्रम के फोटोग्राफ देखकर न्यायाधीश ने यह भी कहा है कि अफसरों के व्यवहार से प्रदर्शन में कुछ व्यवधान तो आया था। इसके साथ ही फैसले में न्यायाधीश ने कहा है कि मैं जागरूक नागरिकता मंच ब्यावरा के प्रदर्शनकारियों की तारीफ करना चाहूंगा कि उनके द्वारा प्रदर्शन के दौरान महिला प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति काफी हद तक संयम एवं शालीनता बनाए रखी गई। बता दें कि उक्त मामला 19 जनवरी को सीएए के समर्थन में आयोजित रैली में हुए विवाद से जुड़ा हुआ है।
परिवादी महिला रिंकू सुनेरी ने जिला न्यायालय में एक आवेदन दिया था। इस इस पर विशेष न्यायाधीश और अन्य विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी (पीए) एक्ट) राजेश कुमार गुप्ता ने 22 फरवरी को फैसला सुनाया है। आठ पेज के फैसले में उन्होंने उल्लेख किया है कि अनावेदकगण निधि निवेदिता जिला कलेक्टर राजगढ़, डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा राजगढ़ एवं श्रुति अग्रवाल राजगढ़ के विरुद्ध परिवाद के पंजीयन पर परिवादी रिंकू सुनेरी एवं उनके अधिवक्ता चंद्रकांत त्रिपाठी को विस्तार से सुनने के बाद परिवाद निरस्त किया जाता है।
परिवाद निरस्त करने के इन कारणों का किया उल्लेख
आठ पेज के इस फैसले में न्यायाधीश श्री गुप्ता ने उल्लेख किया है कि अनावेदकगण निधि निवेदिता जिला कलेक्टर राजगढ़, डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा राजगढ़ एवं श्रुति अग्रवाल राजगढ़ के विरुद्ध रिकॉर्ड पर प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है, जिसके आधार पर उनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर उन्हें न्यायालय द्वारा दंडित किये जाने हेतु समंस/वारंट द्वारा तलब किया जाए। इसके साथ-साथ अनावेदकगण को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के प्रावधानों का संरक्षण भी प्राप्त है। इसके लिए परिवादी द्वारा परिवाद पेश करने के पूर्व अनावेदकगण के विरुद्ध सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति उन्हें अभियोजित करने के लिए प्राप्त करना आवश्यक थी। इस फैसले के अंत में न्यायाधीश श्री गुप्ता ने उल्लेख किया है कि अत: परिवादी रिंकू सुनेरी द्वारा अनावेदकगण के विरुद्ध पेश किया गया परिवाद निरस्त किया जाता है।
परिवादी ने लगाए थे ये आरोप
परिवादी ने अपने आवेदन में आरोप लगाए थे कि वे ब्यावरा में सीएए के समर्थन में आयोजित पैदल तिरंगा यात्रा में शामिल होने जा रही थीं। पुराने एबी रोड पर अनावेदकगण द्वारा परिवादी का रास्ता रोककर बालों से पकड़कर धक्का-मुक्की की गई एवं थप्पड़ मारे गये। अनावेदकगण द्वारा परिवादी की साड़ी खींचकर एवं बालों को खींचकर परिवादी को बलपूर्वक पुलिस थाना ब्यावरा सिटी ले जाया गया। जातिसूचक एवं अभद्र शब्दों का प्रयोग किया गया।
कोर्ट ने यह भी कहा- इसलिए नहीं बनता कोई आपराधिक दायित्व
न्यायालय ने कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा धारा 144 के उल्लंघन में यह रैली निकाली जा रही थी, जहां कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रशासनिक अधिकारी गई थीं। शासकीय कृत्यों के निर्वहन में किसी को कोई असुविधा हुई भी तब भी उनके खिलाफ कोई आपराधिक दायित्व नहीं बनता।